हिन्दू धर्मं की वैज्ञानिकता
हिन्दू धर्म की वैज्ञानिकता हिन्दू-धर्म की ज्येष्ठता व श्रेष्ठता संसार में सर्वत्र मान्य हैं। विश्व के अगणित विद्वानों, विचारकों तथा दार्शनिकों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि यह धर्म कुछ सिद्धान्तों, संस्कारों या विश्वासों की धर्म-व्यवस्था मात्र नहीं, वरन् उन आधारभूत वैज्ञानिक तथ्यों पर व्यवस्थित है, जिनसे युग-युगान्तरों से यहाँ का नैतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक जीवन विकसित होता रहा हैं, और उनसे यह विशाल भू-खण्ड शक्ति एवं सम्पन्नता अनुभव करता रहा है। जो ज्ञान इस ऋषि-देश में प्रादुर्भूत हुआ है, वह कल्पना-भूत नहीं साधना-निर्गत होने के कारण ही प्रामाणिक माना गया हैं। उस में शंकाओं के लिये कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई। जो सिद्धान्त बनाये गये है, वे पूर्ण वैज्ञानिक हैं। यही कारण है कि अनेक ऐतिहासिक आघातों के बावजूद आज भी यह फल-फूल रहा है। कठिनाइयों में भी उसकी आन्तरिक शक्ति ज्यों की त्यों विद्यमान रही है और आगे भी बनी रहेगी। हिन्दू-धर्म शुद्ध तथा साँस्कृतिक जीवन पद्धति का नाम है और वह इसी रूप में विकसित हुआ है, अतः वह जाति-गत...