सनातन धर्म
सनातन धर्म वेदों पर आधारित धर्म है । हमारे वेद ही हमारे धर्म के प्रमुख आधार हैं ।
मुख्य रूप से कहें तो इन वेदों का निर्माण करने वाले ऋषि मुनि ही इस धर्म के संस्थापक है । क्योंकि उन्होंने वेदों का निर्माण किया है ।
मुख्य रूप से कहें तो इन वेदों का निर्माण करने वाले ऋषि मुनि ही इस धर्म के संस्थापक है । क्योंकि उन्होंने वेदों का निर्माण किया है ।
विभिन्न रचनाओं, वेद और इतिहास देखने पर पता चलता है
ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित अग्नि, आदित्य, वायु और अंगिरा ने इस धर्म की स्थापना की।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित अग्नि, आदित्य, वायु और अंगिरा ने इस धर्म की स्थापना की।
सनातनमेनमहुरुताद्या स्यात पुनण्रव् ( अधर्ववेद 10/8/23)
अर्थात – सनातन उसे कहते हैं जो , जो आज भी नवीकृत है ।
‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त।
सत्य दो धातुओं से मिलकर बना है सत् और तत्। सत का अर्थ यह और तत का अर्थ वह। दोनों ही सत्य है।
अहं ब्रह्मास्मि
और तत्वमसि।
और तत्वमसि।
अर्थात मैं ही ब्रह्म हूँ और तुम ही ब्रह्म हो। यह संपूर्ण जगत ब्रह्ममय है।
ब्रह्म पूर्ण है। यह जगत् भी पूर्ण है। पूर्ण जगत् की उत्पत्ति पूर्ण ब्रह्म से हुई है।
पूर्ण ब्रह्म से पूर्ण जगत् की उत्पत्ति होने पर भी ब्रह्म की पूर्णता में कोई न्यूनता नहीं आती।
वह शेष रूप में भी पूर्ण ही रहता है। यही सनातन सत्य है।
ब्रह्म ही सत्य है। ब्रह्म शब्द का कोई समानार्थी शब्द नहीं है।
ॐ

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