मकर संक्रांति का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व

       
पं. दिनेश शास्त्री
             मकर संक्रांति का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व

1. संक्रांति :-
* सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं।प्रति वर्ष मकर संक्रांति अलग-अलग वाहनों पर, विभिन्न प्रकार के वस्त्र पहन कर, विविध शस्त्र, भोज्य पदार्थ एवं अन्य पदार्थों के साथ आती है। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति की अवधि ही सौरमास है। वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण हैं, जिनमें मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति हैं।
2. मकर संक्रांति :-
 जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। 
3. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का महत्त्व:-  सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है कि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन हो जाता है। उत्तरायन देवताओं का दिन माना जाता है। 
4. ऐसे मनाएं संक्रांति :-
* इस दिन प्रातःकाल उबटन आदि लगाकर तीर्थ के जल से मिश्रित जल से स्नान करें। 
* यदि तीर्थ का जल उपलब्ध न हो तो जल में तिल डालकर स्नान करें। 
* तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है। 
* स्नान के उपरांत नित्य कर्म तथा अपने आराध्य देव की आराधना करें। 
* पुण्यकाल में दांत मांजना, कठोर बोलना, फसल तथा वृक्ष का काटना, गाय, भैंस का दूध निकालना व मैथुन काम विषयक कार्य कदापि नहीं करना चाहिए। 
* इस दिन पतंगें उड़ाने की परंपरा है। 
5.मकर संक्रांति एक पुण्य पर्व :- उत्तरायन देवताओं का अयन है। यह पुण्य पर्व है। इस पर्व से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। उत्तरायन में मृत्यु होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है। पुत्र की राशि में पिता का प्रवेश पुण्यवर्द्धक होने से साथ-साथ पापों का विनाशक है।सूर्य पूर्व दिशा से उदित होकर 6 महीने दक्षिण दिशा की ओर से तथा 6 महीने उत्तर दिशा की ओर से होकर पश्चिम दिशा में अस्त होता है। 
उत्तरायन का समय देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन का समय देवताओं की रात्रि होती है, वैदिक काल में उत्तरायन को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा गया है। मकर संक्रांति के बाद माघ मास में उत्तरायन में सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। 
6.मकर संक्रांति पर अपनी राशि अनुसार दान करें:- मकर संक्रांति पर दान का बहुत महत्व है। विशेषकर इस दिन तिल, खिचड़ी, गुड़ एवं कंबल दान करने का महत्व है। अन्य वस्तुएं भी दान दे सकते हैं। आइए जानें, राशि अनुसार मकर संक्रांति पर क्या दान करें कि घर में शुभता और मांगल्य आने लगे। 
मेष : गुड़, मूंगफली दाने एवं तिल का दान दें। 

वृषभ : सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दान दें। 

मिथुन : मूंग दाल, चावल का दान दें। 

कर्क : चावल, चांदी एवं सफेद तिल का दान दें। 

सिंह : तांबा, गेहूं एवं सोने के मोती का दान दें। 

कन्या : खिचड़ी, कंबल एवं हरे कपड़े का दान दें। 

तुला : चांदी, शकर एवं कंबल का दान दें। 

वृश्चिक : मूंगा, लाल कपड़ा एवं तिल का दान दें। 

धनु : पीला कपड़ा, खड़ी हल्दी एवं सोने का मोती दान दें। 

मकर : काला कंबल, तेल एवं काली तिल दान दें। 

कुंभ : काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी एवं तिल दान दें। 

मीन : रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल एवं तिल दान दें। 
7. मकर संक्रांति का महत्त्व:- 14 जनवरी ऐसा दिन है, जबकि धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है।

जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।
श्रीकृष्ण ने कहा था- भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए गीता में कहा है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता, ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त हैं।


इसके विपरीत सूर्य के दक्षिणायण होने पर पृथ्वी अंधकारमय होती है और इस अंधकार में शरीर त्याग करने पर पुनः जन्म लेना पड़ता है।
8. मकर संक्रांति पर सूर्य आराधना :- मकर संक्रांति पर सूर्य आराधना के साथ अपने इष्ट देव की आराधना भी शुभ होती है। जानिए, आपकी राशि अनुसार सूर्य का कौन सा नाम है आपके लिए शुभ और किस नाम से उनका आह्वान करें ताकि संक्रांति आपके लिए शुभता और सफलता का वरदान लेकर आए... 

 मेष : ॐ अचिंत्याय नम:l    वृषभ : ॐ अरुणाय नम:l               मिथुन : ॐ आदि-भुताय नम:l
कर्क : ॐ वसुप्रदाय नम:l      सिंह : ॐ भानवे नम:l                     कन्या : ॐ शांताय नम:l
तुला : ॐ इन्द्राय नम:l         वृश्चिक : ॐ आदित्याय नम:l            धनु : ॐ शर्वाय नम:l
मकर : ॐ सहस्र किरणाय नम:l  कुंभ : ॐ ब्रह्मणे दिवाकराय नम:l   मीन : ॐ जयिने नम:।
9. मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्त्व:- 
 पतंग महोत्सव :-
पहले सुबह सूर्य उदय के साथ ही पतंग उड़ाना शुरू हो जाता था। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। 
 तिल और गुड़ :-
सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम होने  के कारण शरीर में  रोग और बीमारी जल्दी लगते हैं। इस लिए इस दिन गुड और तिल से बने मिष्ठान खाए जाते हैं। इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्व के साथ ही शरीर  के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते हैं। इसलिए इस दिन खासतौर से तिल और गुड़ के लड्डू खाए जाते हैं।

                                                  -llशुभम् भवतु ll-

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