चंद्र ग्रहण -विशेष

चंद्रग्रहण-विशेष
संवत्
2076 आषाढ़ मास शुक्लपक्ष पूर्णिमा मंगलवार तदनुसार 16/17 जुलाई 2019 को मध्यरात्रि
में खंडग्रास चंद्रग्रहण योग बनता है।
श्रीवेदमाता ज्योतिष कार्यालय
श्रीवेदमाता ज्योतिष कार्यालय
मो॰ न॰ 8103211222
8770817904 यह भारत में दृश्य है I
यह ग्रहण 16/17 जुलाई 2019 मंगलवार को
मध्यरात्रि 01 बजकर 30 मिनिट से प्रारम्भ होकर रात्रि 04 बजकर 30 मिनिट पर पूर्ण
(मोक्ष) होगा I इस ग्रहण का
वेध(सूतक) 16 जुलाई 2019 को अपराह्न 04 बजे से प्रारम्भ होगा I
यह ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र व मकर राशि पर
होने से इन नक्षत्र राशि वालों के लिए विशेष विचारणीय है I मिथुन,
तुला, कुम्भ के लिए अशुभ फलदायी व वृष,
कन्या, धनु राशि के लिए मध्यम फलदायी एवं मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मीन राशि वालों के लिए शुभ फलदायी है I
ग्रहणकाल में बालक, वृद्ध,
बीमार, गर्भवती स्त्री एवं आतुर को छोड़कर अन्य मनुष्यों को
अन्न-जल आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए I ग्रहणकाल में सभी
कार्यों को छोड़कर भगवद भजन करना चाहिए I ग्रहण के पश्चात
स्नानादि से शुद्ध होकर देव पूजन कर ताजा भोजन, वस्तुओं का
सेवन करना चाहिए I मूर्ति पूजा नहीं करनी चाहिए I
ग्रहणकाल, साधनाकाल है :- ग्रहणकाल को सर्वश्रेष्ठ साधनाकाल
समझा जाता है Iइस काल में शाबर मंत्र जल्दी सिद्ध होते हैं I एक
समय में एक ही साधना करनी चाहिए I ‘एक साधे सब सधे, सबसाधे सब जाय’ I
शाबर मंत्र
साधना से जुड़े नियम : –
शाबर मंत्र
एक गुप्त विद्या :-
शाबर मंत्र साधना एक गुप्त विद्या है जिसके बारे
में आप और आपके गुरु के अतिरिक्त किसी को भी जानकारी नहीं होनी चाहिए | साधना के दौरान आपको होने वाली अनुभूतियों के
विषय में भी आप किसी को न बताये | ऐसा करने से आपको साधना में जो अनुभूति मिल रही है वह बंद हो जाती है और साधना
में असफलता ही हाथ लगती है | स्वप्न में भी होने वाली अनुभूतियों को किसी से न बताएं | किन्तु इनके विषय में अपने गुरु से कुछ न छिपाए |
शाबर मंत्र
साधना में गुरु का महत्व : – गुरु के बिना किसी भी प्रकार की साधना सफल नहीं होती है I
गुरु के मार्गदर्शन में साधना करने से हम सुरक्षित रहते हैं और सिद्धि मिलने में आसानी होती है I इसलिए गुरु का स्थान सर्वोपरि है I
साधना के पूर्व :- साधना के प्रारम्भ करने से पहले गणेश , गुरु,इष्टदेवता, शिव, दत्तात्रेय , गोरखनाथ जी आदि का स्मरण करें I इनके बिना शाबरतंत्र सिद्ध नहीं होता है I
साधना का उद्देश्य :- साधना का उद्देश्य हमेशा लोकहित होना चाहिए I
स्वयं के लिए तभी प्रयोग करें जब परेशानी का हल किसी भी रास्ते से नहीं निकाल रहा हो I दूसरों को कष्ट पहुंचाने के लिए जो प्रयोग करते हैं , वे स्वयं विपत्तियों में फँस जाते हैं I दूसरे का अहित किए बिना स्वयं का हित करें तो ज्यादा अच्छा होगा I मारण प्रयोग किसी पर भूलकर भी न करें क्योंकि यह आपके विनाश का कारण भी बन सकता है I
-॥सर्वे भवन्तु सुखिन: ॥-
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