हनुमान जयंती विशेष

hanuman full hd images, panchmukhi hanuman images
                                                                     हनुमान जयंती विशेष 
               ज्योतिषीयों के सटीक गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था। इन्हें बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनका शरीर एक वज्र की तरह था । वे पवन-पुत्र के रूप में जाने जाते हैं। वायु अथवा पवन (हवा के देवता) ने हनुमान को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मारुत (संस्कृत: मरुत्) का अर्थ हवा है। नंदन का अर्थ बेटा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान "मारुति" अर्थात "मारुत-नंदन" (हवा का बेटा) हैं।
         कलयुग में हनुमान जी की उपासना अभीष्ट फलदायी होती है । किसी विशेष पर्व,ग्रहण या नवरात्रि में ये साधना की जा सकती है । कोई भी साधना गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए जिससे साधना में विघ्न उत्पन्न ना हो, यदि कोई समस्या आए भी तो गुरु संभाल लेता है । गुरु के सानिध्य में साधना निर्विघ्न सम्पन्न होती है । लोककल्याण के लिए कुछ मंत्र प्रयोग दे रहा हूँ । 
    1. ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा । 
      मंत्र जाप के पूर्व हनुमान जी की पंचोपचार पूजन करें । फिर कवच का पाठ करें । उसके पश्चात ध्यान,विनियोग और न्यास करें । उपरोक्त मंत्र का जाप 10000 की संख्या में करें। फिर दशांश होम तिल से करें । इस प्रकार मंत्र सिद्ध हो जाता है । इस मंत्र के प्रयोग से रोगों का नाश होता है । शत्रु की शांति होती है । अभीष्ट कार्य सिद्ध होते हैं । 
2. हनुमान चालीसा 
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार । बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे, रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए, श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै, अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना, लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे, होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै, मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
           हनुमान चालीसा 100 पाठ करने मात्र से बंदी बंधन मुक्त हो जाता है । पहले हनुमान जी की पंचोपचार पूजन करें , फिर पाठ करें । दीपक के लिए सरसों का तेल प्रयोग में लें । हनुमान जी के अनेक मंत्र और उन मंत्रों के अनेक प्रयोग हैं जिनका वर्णन करने से विस्तार अधिक हो जाएगा । ईश्वरीय प्रेरणा से अगले ब्लॉग में नए प्रयोग देने की कोशिश करूँगा ।  
                                    जय श्री राम ।  जय बजरंगबली । 

     

टिप्पणियाँ

  1. less than 18 aspects match between two people, marriage will not be successful. 18-24 can be approved, but matching 25-36 considered a very good match as per Vedic astrology. talk to astrologer

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. आपका बहुत धन्यवाद् की आप भारत की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम करते है , में आपके ब्लॉग पर हमेशा श्री हनुमान चलिशा का पथ करने के लिए आ जाता हु।

    जवाब देंहटाएं
  4. Hanuman, the son of Pawan, Hanuman is known for its symbol of power and strength and was enthusiastic about Lord Rama. Adorer worships him to get freedom from fear and suffering and read the text of 'हनुमान' in their worship. This lesson is important for us to overcome any disorder and fear. But you ever understood the meaning of each letter in Hanuman Chalisa; in Hindi mein

    जवाब देंहटाएं
  5. IN H4INDI  website blogs, there you get information related to Economics, History, Technology, biography of Celebrities, and the Daily news. All information is available in the Hindi language. Our aim is to provide genuine information in simple words to the people for their updated knowledge.

    जवाब देंहटाएं
  6. Omg Gyan Article , बहुत ही अच्छे से आपने अजर अमर हनुमान जी के बारे में भक्तो को बताया जिसे पढने से ही कल्याण होता है . जय श्री राम .

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ज्योतिष के प्रवर्तक आचार्यों का परिचय

वेदमाता गायत्री (VEDMATA GAYATRI)